महापुरुष हैं श्रीराव जी
दिनचर्या करते ईश्वर ध्यान से,
पूरे परिपक्व हैं ज्ञान से,
सात्विक है खान- पान,
निराली है इनकी शान,
मिलकर आता मानसिक बल,
जीवन हो जाता प्रफुल्ल,
महापुरुष हैं श्रीराव जी।
लंबे समय चलता स्वाध्याय,
गहराई में उतर मोती लाएं,
हर बात को निपुणता से हैं रखते
असंभव को संभव हैं कर सकते,
पूरी पकड़ है इनकी भाषा पर,
समाज को देने की अभिलाषा कर,
महापुरुष हैं श्रीराव जी।
अथाह है इनका बौद्धिक भंडार,
परिपूर्ण हैं सोलह संस्कार,
घटना का कर लेते पूर्वाभास,
नहीं होते कभी हताश व निराश,
मन से रहते हैं बड़े शांत,
व्यक्तित्व से है कांत,
महापुरुष हैं श्रीराव जी।
छपते हैं इनके शोधपूरण लेख,
कार्य करते समाज के लिए नेक,
संस्कृति और इतिहास का करके संरक्षण,
कहाए इसलिए संस्कृति रत्न,
मानव मूल्यों के लिए सदैव प्रयत्नशील,
मानवता में अध्यात्म लाने को क्रियाशील,
महापुरुष हैं श्रीराव जी।
इनकी पुस्तकों पर जारी हैैं अनुसंधान,
बड़ा रहे इनका भरपूर सम्मान,
हर लेख हैं समाज के लिए हितकारी,
जन – जन केे लिए हैं कल्याणकारी,
जागृत करे सांस्कृतिक चेतना,
समस्याओं से जूझते मानव के लिए प्रेरणा,
महापुरुष हैं श्रीराव जी।
उत्साही जनों के हैं मागदर्शक,
भूले भटकों के हैं पथ प्रदर्शक,
समाज का कर रहे हैं सुधार,
इनका है सादा जीवन उच्च विचार,
इनके चेहरे पर दिखेे नूर,
साक्षातकार ईश्वर से हैं जरूर,
महापुरुष हैं श्रीराव जी।
सब लोगों का करते हैं भला,
बहुमूल्य इनकी है हर सलाह,
सामाजिक भलाई में हमेशा आगे
कई अवार्ड से गए हैं नवाजे,
साधारण नहीं अति विशिष्ट हैं पुरुष,
तभी तो कहाते हैं महापुरुष,
महापुरुष हैैं श्रीराव जी।

March 31st, 2021
sanskritiadmin 
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